रविवार, 31 मई 2020

🚩🚩🚩🙏🏻🙏🏻🤳

सभी भाईयो को
भिया राम

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🚩🚩🚩

आज माँ अहिल्याबाई होलकर का जन्मोत्सव है। हमारी प्रेरणास्त्रोत माँ का जीवन हमें संकटों से जूझते हुए लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। आइये माँ के जन्मोत्सव पर प्रण लें की अपने कर्तव्यों को निभाकर कोरोना की लड़ाई में प्रशासन का सहयोग करेंगे।

भिया राम आज महारानी देवी को नमन

धर्मपरायण ! दानशुर ! कर्तुत्ववान राज्यकर्ता !
इन्दौर शहर के रचयिता इन्दौर की महारानी देवी अहिल्याबाई होल्कर जी के 295 जन्मदिवस पर इन्दौर का शत शत नमन 🙏🏻🙏🏻🚩

गुरुवार, 21 मई 2020

अपने परिवार की सुरक्षा के लिए 2 मिनिट का समय निकाल कर इसे अवश्य पढ़े...!!!

https://youtu.be/21GgjN3iPI8अपने परिवार की सुरक्षा के लिए 2 मिनिट का समय
निकाल कर इसे अवश्य पढ़े...!!!
L.P.G.गैस सिलेण्डर की भी "एक्सपायरी डेट" होती है।
एक्सपायरी डेट निकलने के बाद गैस सिलेण्डर को इस्तेमाल करना बम की तरह खरतनाक हो सकता है। आमतौर पर गैस सिलेण्डर की रिफील लेते समय उपभोक्ताओं का ध्यान इसके वजन और सील पर ही होता है।
उन्हें सिलेण्डर की एक्सपायरी डेट की जानकारी ही नहीं होती।
इसी का फायदा एलपीजी की आपूर्ति करने वाली कंपनियां उठाती हैं और धड़ल्ले से एक्पायरी डेट वाले सिलेण्डर रिफील कर हमारे घरों तक पहुंचाती हैं।
यहीं कारण है कि गैस सिलेण्डरों से हादसे होते हैं।
~कैसे पता करें एक्सपायरी डेट~
सिलेण्डर के उपरी भाग पर उसे पकड़ने के लिए गोल रिंग होती है और इसके नीचे तीन पट्टियों में से एक पर काले रंग से सिलेण्डर की एक्सपायरी डेट अंकित होती है। इसके तहत अंग्रेजी में A, B, C तथा D अक्षर अंकित होते है तथा साथ में दो अंक लिखे होते हैं।
A अक्षर साल की पहली तिमाही (जनवरी से मार्च),
B साल की दूसरी तिमाही (अप्रेल से जून),
C साल की तीसरी तिमाही (जुलाई से सितम्बर)
तथा
D साल की चौथी तिमाही अर्थात अक्टूबर से दिसंबर को दर्शाते हैं।
इसके बाद लिखे हुए दो अंक एक्सपायरी वर्ष को संकेत करते हैं।
यानि यदि सिलेण्डर पर A 16 लिखा हुआ हो तो सिलेण्डर
की एक्सपायरी मार्च 2016 है। इस सिलेण्डर का "मार्च 2016" के बाद उपयोग करना खतरनाक होता है।
इस प्रकार के सिलेण्डर बम की तरह कभी भी फट सकते हैं।
ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे इस प्रकार के
एक्सपायर सिलेण्डरों को लेने से मना कर दें तथा आपूर्तिकर्त्ता एजेंसी को इस बारे में सूचित करें !

Note : कृप्या घरेलू सुरक्षा के मद्देनजर इस पोस्ट को अधिक-अधिक शेयर करे !

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https://youtu.be/21GgjN3iPI8

बुधवार, 20 मई 2020

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हो ने को तो इतिफाक है मगर ये तस्वीर कुछ बोलती हैं


भिया राम राम । कॅरोना की दवाई आपके शरीर मे ही है, आपके शरीर की इम्युनिटी👀👇🏻

*कॅरोना की दवाई आपके शरीर मे ही है, आपके शरीर की इम्युनिटी*

कोरोना वायरस की कोई दवा अभी नही बनी है। जो भी कोरोना से स्वस्थ हुए है वो सिर्फ अपनी इम्यूनिटी (शरीर की स्वयम रोगों से लड़ने की ताकत) से ही ठीक हुए है। बहुत लोगो की ऐसी धारणा है कि ये बीमारी एक बार तो सबको ही होनी है जिसकी इम्युनिटी अच्छी होगी वो बच जाएगा और जिसकी अच्छी नही होगी वो नही बचेगा। मतलब ये हुआ कि हमारे शरीर की इम्युनिटी ही कॅरोना की दवाई है। तो हमे सारा ध्यान अपनी इम्युनिटी बढ़ाने पर देना चाहिए यदि आप इस महामारी को मात देना चाहते हो। तो हमे यह सीखने की बहुत आवश्यकता है कि किन चीजों से इम्युनिटी बढ़ती है और किन चीजों से इम्युनिटी घटती है।

*पहले इम्युनिटी बढ़ाने वाली चीजो पर ध्यान देते है।*

1. योगा
2. व्यायाम या कोई खेल
3. घर का बना शुद्ध भोजन
4. आंवला (किसी भी रूप मे खाए)
5. फल ( खासकर खट्टे फल)
6. हरी सब्जियां
7. दालें
8. गुड़
9. शुद्ध तेल कोई भी (रिफाइंड बिल्कुल नही)
10. *तुलसी व अन्य आयुर्वेदिक पेय पदार्थ।*
11. दूध , दही , लस्सी , घी इत्यादि।


*शरीर की इम्युनिटी घटाने वाली चीजें*

1. मैदा (सबसे विनाशकारी पदार्थ, किसी भी रूप मे जैसे ब्रेड , नान , भटूरे , बर्गर , पिज़्ज़ा , जलेबी , समोसा , कचोरी , पाव ( पाव भाजी वाला) इत्यादि बिल्कुल भी न खाए।
2.  रिफाइंड आयल बिल्कुल न खाए।
3. चीनी बिल्कुल नही खाए। ( गुड़ , शकर, खांड़ खाए।)
4. बाहर का कोई भी जंक फूड न खाए।
5. मैदे ओर चीनी से बनी चीज बिल्कुल न खाए जैसे बर्गर , पिज़्ज़ा , जलेबी इत्यादी।
6. एल्युमीनियम के बर्तनों मैं खाना बनाना बन्द करे।
7. कोल्ड ड्रिंक बिल्कुल नही पीये।
8. पैकिंग वाली चीजें न खाए या कम से कम खाए।
 
इस तरह इन बातों को अपनाकर आप अपनी इम्युनिटी इतनी स्ट्रांग बना सकते हो कि कोरोना को मात दे सको।

*ध्यान रहे आपकी इम्युनिटी ही कॅरोना की दवाई है।*

*बात सही लगे तो आगे बढ़ाए।*
🌹🌹🌹 करे योग रहे निरोग 💐💐💐🙏🙏🙏योगाचार्य

महामारी के इस काल में इन नन्हे जीवों के लिए दाना-पानी रखना न भूलें, इनके लिए कोई फ्री राशन नहीं आता...

महामारी के इस काल में इन नन्हे जीवों
के लिए दाना-पानी रखना न भूलें,
इनके लिए कोई फ्री राशन नहीं आता...

इन्दौर के 296 वें जन्मदिन के अवसर पर सभी इन्दौरियों को हार्दिक हार्दिक बधाई*शुभकामनाएं

🚩🚩🚩🌞🚩🚩🚩
*हमारे इन्दौर के 296 वें जन्मदिन के अवसर पर सभी इन्दौरियों को हार्दिक हार्दिक बधाई*शुभकामनाएं*
*हमारा शहर खुशहाल रहे*
🌹🌸🌻🎂🌻🌸🌹
🙏*जय माँ अहिल्यादेवीजी *🙏

लो भिया इन्दौर 5स्टार रैकिंग वाला शहर बना 👇🏻👀

इंदौर में स्वच्छता निरंतर बनाए रखने के लिए हमने दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ काम किया है। जिसके लिए कई मापदण्ड व कार्ययोजनाओं पर काम भी किया गया। केंद्रीय मंत्रालय द्वारा एक फिर से इंदौर 5 स्टार रैंकिंग वाला शहर चुना गया है। आप सभी को बधाई। हम निश्चित ही स्वच्छता का चौका लगाएंगे।
इन्दौर रहेगा नंबर वन ।

सोमवार, 18 मई 2020

अगले 6 महिने हमें कैसे रहना होगाः[:भले ही लाकडाउन समाप्त हो जाए मगरअब ये सावधानियां बरतना आवश्यक हैं।।1.मास्क2. हेड सेनेटाइज3. सामाजिक दूरी4. अति आवश्यक होने पर ही बाहर जाएंगे।5. दाढी न बढायें।6. कटिंग कराने सैलून न जाएं। शेव स्वयं करेंया फिर नाई को घर बुलाया जाए। उसने मास्कपहना हो। उसके हाथ साफ करवाये। कंघी,कैंची, ब्लैड ,रूमाल आदि सब सामान हमारेहोने चाहिए।7. बेल्ट नहीं पहनो,अंगूठी ,कलाई घडी आदिन पहने। मोबाइल आपको समय बता ही देता है।8. हाथ रूमाल का उपयोग नहीं करें। सेनेटाइजरऔर टिश्यू पेपर साथ रखें और जब जरूरी होइस्तेमाल करें।9. घर मे जूते पहनकर घर में प्रवेश न करें, उन्हेंबाहर ही उतारें।10. बाहर से घर आने पर बाहर ही हाथ औरपैर धोकर ही घर में प्रवेश करें।आपको लगता है कि आप किसीसंदिग्ध के संपर्क में आ गये हैं तो पूरा स्नान करें,भाप लें, गर्म काढ़ा पियें।लाकडाउन हो या न हो अगले 6 से 12 महीनेतक ये सावधानियां अति आवश्यक हैं।कृपया इस पोस्ट को अपने परिवार, मित्रों केसाथ अधिक से अधिक शेयर करें।11.

शनिवार, 16 मई 2020

ओशो* गजब का *ज्ञान* दे गये, *कोरोना* जैसी *जगत बिमारी* के लिए

*ओशो* गजब का *ज्ञान* दे गये, *कोरोना* जैसी *जगत बिमारी* के लिए

*70* के *दशक* में *हैजा* भी *महामारी* के रूप में पूरे *विश्व* में फैला था, तब *अमेरिका* में किसी ने *ओशो रजनीश जी* से प्रश्न किया
-"इस *महामारी* से कैसे  बचे ?"

*ओशो* ने विस्तार से जो समझाया वो आज *कोरोना* के सम्बंध में भी बिल्कुल *प्रासंगिक* है।

                       *ओशो*

"यह *प्रश्न* ही आप *गलत* पूछ रहे हैं,

*प्रश्न* ऐसा होना चाहिए था कि *महामारी* के कारण मेरे मन में *मरने का जो डर बैठ गया है* उसके सम्बन्ध में कुछ कहिए!

इस *डर* से कैसे बचा जाए...?

क्योंकि *वायरस* से *बचना* तो बहुत ही *आसान* है,

लेकिन जो *डर* आपके और *दुनिया* के *अधिकतर लोगों* के *भीतर* बैठ गया है, उससे *बचना* बहुत ही *मुश्किल* है।

अब इस *महामारी* से कम लोग, इसके *डर* के कारण लोग ज्यादा *मरेंगे*.......।

*’डर’* से ज्यादा खतरनाक इस *दुनिया* में कोई भी *वायरस* नहीं है।

इस *डर* को समझिये, 
अन्यथा *मौत* से पहले ही आप एक *जिंदा* लाश बन जाएँगे।

यह जो *भयावह माहौल* आप अभी देख रहे हैं, इसका *वायरस* आदि से कोई *लेना* *देना* नहीं है।

यह एक *सामूहिक पागलपन* है, जो एक *अन्तराल* के बाद हमेशा घटता रहता है, कारण *बदलते* रहते हैं, कभी *सरकारों की प्रतिस्पर्धा*, कभी *कच्चे तेल की कीमतें*, कभी *दो देशों की लड़ाई*, तो कभी *जैविक हथियारों की टेस्टिंग*!!

इस तरह का *सामूहिक* *पागलपन* समय-समय पर *प्रगट* होता रहता है। *व्यक्तिगत पागलपन* की तरह *कौमगत*, *राज्यगत*, *देशगत* और *वैश्विक* *पागलपन* भी होता है।

इस में *बहुत* से लोग या तो हमेशा के लिए *विक्षिप्त* हो जाते हैं या फिर *मर* जाते हैं ।

ऐसा पहले भी *हजारों* बार हुआ है, और आगे भी होता रहेगा और आप देखेंगे कि आने वाले बरसों में युद्ध *तोपों* से नहीं बल्कि *जैविक हथियारों* से लड़ें जाएंगे।

🌹मैं फिर कहता हूं हर समस्या *मूर्ख* के लिए *डर* होती है, जबकि *ज्ञानी* के लिए *अवसर*!!

इस *महामारी* में आप *घर* बैठिए, *पुस्तकें पढ़िए*, शरीर को कष्ट दीजिए और *व्यायाम* कीजिये, *फिल्में* देखिये, *योग*  कीजिये और एक माह में *15* किलो वजन घटाइए, चेहरे पर बच्चों जैसी ताजगी लाइये
अपने *शौक़* पूरे कीजिए।

मुझे अगर *15* दिन घर  बैठने को कहा जाए तो में इन *15* दिनों में *30* पुस्तकें पढूंगा और नहीं तो एक *बुक* लिख डालिये, इस *महामन्दी* में पैसा *इन्वेस्ट* कीजिये, ये अवसर है जो *बीस तीस* साल में एक बार आता है *पैसा* बनाने की सोचिए....क्युं बीमारी की बात करके वक्त बर्बाद करते हैं...

ये *’भय और भीड़’* का मनोविज्ञान सब के समझ नहीं आता है।

*’डर’* में रस लेना बंद कीजिए...

आमतौर पर हर आदमी *डर* में थोड़ा बहुत रस लेता है, अगर *डरने* में मजा नहीं आता तो लोग *भूतहा* फिल्म देखने क्यों जाते?

☘ यह सिर्फ़ एक *सामूहिक पागलपन* है जो *अखबारों* और *TV* के माध्यम से *भीड़* को बेचा जा रहा है...

लेकिन *सामूहिक पागलपन* के *क्षण* में आपकी *मालकियत छिन* सकती है...आप *महामारी* से *डरते* हैं तो आप भी *भीड़* का ही हिस्सा है

*ओशो* कहते है...TV पर खबरे सुनना या *अखबार* पढ़ना बंद करें

ऐसा कोई भी *विडियो* या *न्यूज़* मत देखिये जिससे आपके भीतर *डर* पैदा हो...

*महामारी* के बारे में बात करना *बंद* कर दीजिए, 

*डर* भी एक तरह का *आत्म-सम्मोहन* ही है। 

एक ही तरह के *विचार* को बार-बार *घोकने* से *शरीर* के भीतर *रासायनिक* बदलाव  होने लगता है और यह *रासायनिक* बदलाव कभी कभी इतना *जहरीला* हो सकता है कि आपकी *जान* भी ले ले;

*महामारी* के अलावा भी बहुत कुछ *दुनिया* में हो रहा है, उन पर *ध्यान* दीजिए;

*ध्यान-साधना* से *साधक* के चारों तरफ  एक *प्रोटेक्टिव Aura* बन जाता है, जो *बाहर* की *नकारात्मक उर्जा* को उसके भीतर *प्रवेश* नहीं करने देता है, 
अभी पूरी *दुनिया की उर्जा* *नाकारात्मक*  हो चुकी  है.......

ऐसे में आप कभी भी इस *ब्लैक-होल* में  गिर सकते हैं....ध्यान की *नाव* में बैठ कर हीं आप इस *झंझावात* से बच सकते हैं।

*शास्त्रों* का *अध्ययन* कीजिए, 
*साधू-संगत* कीजिए, और *साधना* कीजिए, *विद्वानों* से सीखें

*आहार* का भी *विशेष* ध्यान रखिए, *स्वच्छ* *जल* पीए,

*अंतिम बात:*
*धीरज* रखिए... *जल्द*  ही सब कुछ *बदल* जाएगा.......

जब  तक *मौत* आ ही न जाए, तब तक उससे *डरने* की कोई ज़रूरत नहीं है और जो *अपरिहार्य* है उससे *डरने* का कोई *अर्थ* भी नहीं  है, 

*डर* एक  प्रकार की *मूढ़ता* है, अगर किसी *महामारी* से अभी नहीं भी मरे तो भी एक न एक दिन मरना ही होगा, और वो एक दिन कोई भी  दिन हो सकता है, इसलिए *विद्वानों* की तरह *जीयें*, *भीड़* की तरह  नहीं!!"

                    -:  *ओशो*  :-*ओशो* गजब का *ज्ञान* दे गये, *कोरोना* जैसी *जगत बिमारी* के लिए

*70* के *दशक* में *हैजा* भी *महामारी* के रूप में पूरे *विश्व* में फैला था, तब *अमेरिका* में किसी ने *ओशो रजनीश जी* से प्रश्न किया
-"इस *महामारी* से कैसे  बचे ?"

*ओशो* ने विस्तार से जो समझाया वो आज *कोरोना* के सम्बंध में भी बिल्कुल *प्रासंगिक* है।

                       *ओशो*

"यह *प्रश्न* ही आप *गलत* पूछ रहे हैं,

*प्रश्न* ऐसा होना चाहिए था कि *महामारी* के कारण मेरे मन में *मरने का जो डर बैठ गया है* उसके सम्बन्ध में कुछ कहिए!

इस *डर* से कैसे बचा जाए...?

क्योंकि *वायरस* से *बचना* तो बहुत ही *आसान* है,

लेकिन जो *डर* आपके और *दुनिया* के *अधिकतर लोगों* के *भीतर* बैठ गया है, उससे *बचना* बहुत ही *मुश्किल* है।

अब इस *महामारी* से कम लोग, इसके *डर* के कारण लोग ज्यादा *मरेंगे*.......।

*’डर’* से ज्यादा खतरनाक इस *दुनिया* में कोई भी *वायरस* नहीं है।

इस *डर* को समझिये, 
अन्यथा *मौत* से पहले ही आप एक *जिंदा* लाश बन जाएँगे।

यह जो *भयावह माहौल* आप अभी देख रहे हैं, इसका *वायरस* आदि से कोई *लेना* *देना* नहीं है।

यह एक *सामूहिक पागलपन* है, जो एक *अन्तराल* के बाद हमेशा घटता रहता है, कारण *बदलते* रहते हैं, कभी *सरकारों की प्रतिस्पर्धा*, कभी *कच्चे तेल की कीमतें*, कभी *दो देशों की लड़ाई*, तो कभी *जैविक हथियारों की टेस्टिंग*!!

इस तरह का *सामूहिक* *पागलपन* समय-समय पर *प्रगट* होता रहता है। *व्यक्तिगत पागलपन* की तरह *कौमगत*, *राज्यगत*, *देशगत* और *वैश्विक* *पागलपन* भी होता है।

इस में *बहुत* से लोग या तो हमेशा के लिए *विक्षिप्त* हो जाते हैं या फिर *मर* जाते हैं ।

ऐसा पहले भी *हजारों* बार हुआ है, और आगे भी होता रहेगा और आप देखेंगे कि आने वाले बरसों में युद्ध *तोपों* से नहीं बल्कि *जैविक हथियारों* से लड़ें जाएंगे।

🌹मैं फिर कहता हूं हर समस्या *मूर्ख* के लिए *डर* होती है, जबकि *ज्ञानी* के लिए *अवसर*!!

इस *महामारी* में आप *घर* बैठिए, *पुस्तकें पढ़िए*, शरीर को कष्ट दीजिए और *व्यायाम* कीजिये, *फिल्में* देखिये, *योग*  कीजिये और एक माह में *15* किलो वजन घटाइए, चेहरे पर बच्चों जैसी ताजगी लाइये
अपने *शौक़* पूरे कीजिए।

मुझे अगर *15* दिन घर  बैठने को कहा जाए तो में इन *15* दिनों में *30* पुस्तकें पढूंगा और नहीं तो एक *बुक* लिख डालिये, इस *महामन्दी* में पैसा *इन्वेस्ट* कीजिये, ये अवसर है जो *बीस तीस* साल में एक बार आता है *पैसा* बनाने की सोचिए....क्युं बीमारी की बात करके वक्त बर्बाद करते हैं...

ये *’भय और भीड़’* का मनोविज्ञान सब के समझ नहीं आता है।

*’डर’* में रस लेना बंद कीजिए...

आमतौर पर हर आदमी *डर* में थोड़ा बहुत रस लेता है, अगर *डरने* में मजा नहीं आता तो लोग *भूतहा* फिल्म देखने क्यों जाते?

☘ यह सिर्फ़ एक *सामूहिक पागलपन* है जो *अखबारों* और *TV* के माध्यम से *भीड़* को बेचा जा रहा है...

लेकिन *सामूहिक पागलपन* के *क्षण* में आपकी *मालकियत छिन* सकती है...आप *महामारी* से *डरते* हैं तो आप भी *भीड़* का ही हिस्सा है

*ओशो* कहते है...TV पर खबरे सुनना या *अखबार* पढ़ना बंद करें

ऐसा कोई भी *विडियो* या *न्यूज़* मत देखिये जिससे आपके भीतर *डर* पैदा हो...

*महामारी* के बारे में बात करना *बंद* कर दीजिए, 

*डर* भी एक तरह का *आत्म-सम्मोहन* ही है। 

एक ही तरह के *विचार* को बार-बार *घोकने* से *शरीर* के भीतर *रासायनिक* बदलाव  होने लगता है और यह *रासायनिक* बदलाव कभी कभी इतना *जहरीला* हो सकता है कि आपकी *जान* भी ले ले;

*महामारी* के अलावा भी बहुत कुछ *दुनिया* में हो रहा है, उन पर *ध्यान* दीजिए;

*ध्यान-साधना* से *साधक* के चारों तरफ  एक *प्रोटेक्टिव Aura* बन जाता है, जो *बाहर* की *नकारात्मक उर्जा* को उसके भीतर *प्रवेश* नहीं करने देता है, 
अभी पूरी *दुनिया की उर्जा* *नाकारात्मक*  हो चुकी  है.......

ऐसे में आप कभी भी इस *ब्लैक-होल* में  गिर सकते हैं....ध्यान की *नाव* में बैठ कर हीं आप इस *झंझावात* से बच सकते हैं।

*शास्त्रों* का *अध्ययन* कीजिए, 
*साधू-संगत* कीजिए, और *साधना* कीजिए, *विद्वानों* से सीखें

*आहार* का भी *विशेष* ध्यान रखिए, *स्वच्छ* *जल* पीए,

*अंतिम बात:*
*धीरज* रखिए... *जल्द*  ही सब कुछ *बदल* जाएगा.......

जब  तक *मौत* आ ही न जाए, तब तक उससे *डरने* की कोई ज़रूरत नहीं है और जो *अपरिहार्य* है उससे *डरने* का कोई *अर्थ* भी नहीं  है, 

*डर* एक  प्रकार की *मूढ़ता* है, अगर किसी *महामारी* से अभी नहीं भी मरे तो भी एक न एक दिन मरना ही होगा, और वो एक दिन कोई भी  दिन हो सकता है, इसलिए *विद्वानों* की तरह *जीयें*, *भीड़* की तरह  नहीं!!"

                    -:  *ओशो*  :-

🚩🚩🚩🙏🏻🙏🏻🤳

सभी भाईयो को